बाल साहित्य

 

बच्चों का देश पत्रिका विशेषांक (समीक्षा) 

अक्टूबर 2024







देश की राष्ट्रीय बाल मासिक पत्रिका 'बच्चों का देश', राजस्थान से प्रकाशित होने वाली एक प्रतिष्ठित पत्रिका है। इस बार अगस्त, सितंबर और अक्टूबर 2024 का संयुक्त अंक प्रकाशित किया गया, कारण था पत्रिका की रजत जयंती। इस वर्ष अगस्त में पत्रिका ने 25 वर्ष की यात्रा पूरी की है, जो कि अपने आप में एक बहुत बड़ी उपलब्धि है।
इसी उपलब्धि को उत्सव के रूप में मनाने के लिए अगस्त माह में राजस्थान (राजसमंद) में राष्ट्रीय बाल साहित्य समागम का आयोजन किया गया था। इस कार्यक्रम का की झलकियां भी पत्रिका में देखी जा सकती है। इस कार्यक्रम में देश के कई बाल साहित्यकारों ने भाग लिया।
संपादक महोदय संचय जैन जी और सह-संपादक प्रकाश तातेड़ जी व अन्य सदस्यों ने मिलकर बहुत ही सुंदर और विशेष अंक का निर्माण किया है।
उन्होंने इस अंक को खास बनाने में कोई कमी नहीं छोड़ी है।
पत्रिका का आवरण बहुत ही सुंदर और स्मृतियों को जागृत करने वाला है। पत्रिका में कई सारी कहानियाँ, कथाओं, कविताओं, पहेलियों, मुहावरों, चित्र कथाओं आदि को स्थान मिला है। पत्रिका की साज- सज्जा का पूरा ध्यान रखा गया है और उत्तम गुणवत्ता वाले कागज का प्रयोग किया गया है। 
पत्रिका में जगह-जगह उपयोग किए गए रंगीन चित्र न केवल आकर्षक है, अपितु बौद्धिक दृष्टि से भी महत्व रखते हैं। ये बच्चों में कल्पना और रचनात्मकता का विकास करते हैं। पत्रिका बच्चों को रचनात्मक गतिविधियों से जोड़ने का कोई अवसर नहीं छोड़ती।
सभी प्रकार की सामग्री बच्चों के लिए शिक्षाप्रद होने के साथ-साथ मनोरंजक भी है। हमेशा की तरह वरिष्ठ साहित्यकारों के साथ-साथ नवीन रचनाकारों की रचनाओं को भी स्थान मिला है।
बच्चों का देश पत्रिका लंबे समय से बच्चों में हिंदी भाषा के प्रति प्रेम और रुचि विकसित करने में अहम योगदान दे रही है। यह न केवल बच्चों के भाषाई कौशल के विकास में अहम भूमिका अदा कर रही है बल्कि आज के समय में जब कि बच्चे हमेशा मोबाइल और टीवी से ही गिरे रहते हैं, यह पत्रिका बच्चों को मनोरंजन का एक बेहतर विकल्प देने में सक्षम है।
पत्रिका पूर्ण रूप से बाल मनोविज्ञान को ध्यान में रखकर निर्मित होती है और बाल साहित्य की लगभग हर विधा को इसमें शामिल किया जाता है।
बाल साहित्य के जगत में बच्चों का देश पत्रिका का एक अलग ही स्थान है और यह उपलब्धि संपादकीय मंडल की कड़ी मेहनत,आदर्शवादी कार्यप्रणाली और समर्पण का परिणाम है। किसी साधारण पत्रिका के लिए इतनी लंबी यात्रा करना संभव नहीं। सबसे अहम बात यह है कि
पत्रिका बच्चों में अणुव्रत के सिद्धांतों और मानवीय मूल्यों का विकास करने का कार्य बहुत ही उत्तम ढंग से कर रही है और संस्कारों की संवाहक के रूप में लंबे समय से कार्यरत है।
मेरे लिए यह गौरव की बात है कि मेरी रचनाओं को भी पत्रिका में समय-समय पर स्थान दिया जाता है और मैं भी बच्चों का देश परिवार की सदस्या हूँ।
एक बार पुनः पत्रिका को इस उपलब्धि के लिए हार्दिक बधाई और यह ज्यादा से ज्यादा बच्चों तक पहुंचे ऐसी मेरी शुभकामनाएं है। 

नेहा गुप्ता 
शिक्षिका, दिल्ली।

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