अरे इसे तो चोट लग गई
प्यारे बच्चों मुझे आशा है कि आप सभी सब कुशल होंगे। शायद आपको शीर्षक पढ़कर अंदाजा हो गया होगा, कि यह लेख किस बारे में है। हमें दैनिक जीवन में अलग-अलग कार्य करते हुए, कभी ना कभी चोट लग ही जाती है। जैसे कि चलते-चलते पैर स्लिप हो जाना, झूला झूलते हुए गिर जाना, मैदान में खेलते हुए गिर जाना, सुबह प्रार्थना करते हुए चक्कर आ जाना और ऐसी कई परिस्थितियों हमें या हमारे मित्रों को देखनी पड़ती हैं।
क्या कभी आपके साथ भी ऐसा हुआ है, कि आप को चोट लग गई हो पर तुरंत आपकी सहायता करने कोई ना आ पाया हो या किसी और को चोट लगी हो और आप चाह कर भी उसकी सहायता ना कर पाए हो।
आपको इस बारे में सोचना चाहिए कि हम चाह कर भी चोट लगने पर किसी की मदद क्यों नहीं कर पाए। इसका कारण जाना बहुत सरल है बच्चों यदि आपको यह पता ही नहीं है कि चोट लगने पर क्या करना है तो आप चाह कर भी उनकी मदद नहीं कर सकते। ऐसी स्थिति में आप तुरंत डॉक्टर को नहीं बुला सकते और ना ही आप उस बच्चे को या साथी को तुरंत डॉक्टर के पास ले जा सकते हैं।
ऐसे में आपको उसे प्राथमिक सहायता देनी चाहिए प्राथमिक सहायता का अर्थ है डॉक्टर के आने से पहले जिस बच्चे या व्यक्ति को चोट लगी हो, उसे प्राथमिक उपचार देना। यह प्राथमिक उपचार देना हम सबको आना चाहिए।
आप अपने बड़ों के साथ मिलकर प्राथमिक सहायता के बारे में सीख सकते हैं और फर्स्ट एड बॉक्स (First Aid Box) बना सकते हैं जिसमें प्राथमिक उपचार से संबंधित सामान रखा जाता है। फर्स्ट एड बॉक्स घर पर ही बनाया जा सकता है और सभी को फर्स्ट एड बॉक्स अपने घर, स्कूल, कक्षा, कार आदि में रखना चाहिए। फर्स्ट एड बॉक्स के बारे में ज्यादा जानने के लिए आप अपने माता-पिता की सहायता जरूर लें और ध्यान रखें आगे से किसी को चोट लगे तो तुरंत फर्स्ट एड बॉक्स लेकर पहुंच जाएं।
- नेहा गुप्ता (व्यक्तिगत विचार)