प्रशंसा का महत्व
प्रशंसा किसी भी व्यक्ति के जीवन में अहम भूमिका निभाती है। यह एक प्रकार की ऊर्जा का स्रोत होती है, जो व्यक्ति को मानसिक रूप से वही पोषण प्रदान करता है, जो कि उसके शरीर को पौष्टिक तत्वों के द्वारा मिलता होगा।
व्यक्ति कोई भी कार्य करें, कार्य करने के बाद मिलने वाले परिणामों का प्रभाव, व्यक्ति के ऊपर अवश्य पड़ता है। यह प्रभाव कई रूपों में हो सकता है, जैसे कि सकारात्मक या नकारात्मक। सकारात्मक परिणाम मिलने पर व्यक्ति उसी कार्य को दुगनी शक्ति के साथ दोबारा करने के लिए प्रेरित होता है, पर नकारात्मक परिणाम मिलने पर या परिणाम ना मिलने पर व्यक्ति उसी कार्य के प्रति उदासीन हो सकता है।
प्रशंसा व्यक्ति में सकारात्मक दृष्टिकोण का निर्माण करती है, व्यक्तित्व को प्रभावशाली बनाने में मदद करती है और व्यक्ति के आत्म संप्रत्यय को मजबूत बनाती है। ऐसे बहुत से उदाहरण हैं, जहां व्यक्ति को अपनी काबिलियत और अपनी क्षमताओं का पता तभी लगता है, जब कोई उसके द्वारा किए गए कार्य की प्रशंसा करता है।
इस लेख को लिखने का यह उद्देश्य यह नहीं है कि आप बिना सोचे समझे किसी भी व्यक्ति के किसी भी कार्य की प्रशंसा करना आरंभ कर दें, पर यदि किसी व्यक्ति के द्वारा किया गया कार्य प्रशंसनीय है, तो उसकी प्रशंसा करना आवश्यक हो जाता है।
आप किसी भी क्षेत्र में कार्य करते हो या घर पर ही रहते हो अपने आसपास के वातावरण को देखकर आपको अपनी समझ और विवेक के अनुसार प्रशंसा रूपी पोषक तत्व का अवश्य प्रयोग करना चाहिए। यदि आप घर पर हैं, बच्चों की, माता पिता की या किसी भी अन्य सदस्य की प्रशंसा जरूर करें, और यदि आप अपने कार्यस्थल पर है, तो अपने सहकर्मियों की प्रशंसा जरूर करें, मगर प्रशंसा करते वक्त यह ध्यान रखें कि आपकी प्रशंसा स्वभाविक होनी चाहिए, उसमें बनावट और दिखावा बिल्कुल नहीं होना चाहिए अन्यथा प्रशंसा अपना अर्थ और प्रभाव दोनों ही खो देगी।
- नेहा गुप्ता (व्यक्तिगत विचार)